मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने किया कमलनाथ सरकार की शान में 1-1 चालीसा लिखने का अनुरोध !
Gopal Bhargav Addressing in Rajgarh Rally |
ब्यावरा राजगढ़ की घटना को लेकर आजकल प्रदेश के कुछ आईएएस अफसरों के मन में , कथन में और लेखन में भारी अकुलाहट है। पिछड़ा वर्ग के एक पूर्व मंत्री श्री बद्रीलाल यादव द्वारा कहे गए कथन या भाषण से "एलीट वर्ग" घायल है। इस वर्ग को देवताओं ने भारतवर्ष की जनता के लिए विशेष प्रसाद के रूप में दिया है, इसलिए वह ऐसे कवच कुंडल धारण किए हैं जिन पर डॉक्टर भीमराव जी अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान और आईपीसी, सीआरपीसी के विधानों का कोई असर नहीं होता । उनकी नजर में सभी राजनीतिक व्यक्ति डाकू है और वह स्वयं में "देव पुरुष" हैं । रेत खदानों,शराब दुकानों, परिवहन नाकों जैसे अनेक ईश्वर प्रदत्त कमाई के जरियों से इसी राज्य में इसी वर्ग के दंपत्ति के पास अरबों रुपयों की संपत्ति बरामद हुई थी। वह तो एक छोटा सा उदाहरण मात्र है, लेकिन नेता तो डाकू है और आप "देवपुरुष" हैं। जिस अधिकारी के पास गोली चलवाने, टीयर गैस छुड़वाने, वाटर कैनन चलवाने, लाठीचार्ज करवाने का अधिकार हो, भारत की सीआरपीसी जिसकी दास हो वह अधिकारी भीड़ में घुसकर थप्पड़बाजी करें। 61 साल के बुजुर्ग एएसआई और अपने अधीनस्थ छोटे से पटवारी को तमाचे लगाए या किसी पूर्व विधायक का सिर फोड़े यह कहाँ तक उचित है ? मैंने अपने 40 वर्षं के राजनीतिक जीवन में देखा है कि सरकार किसी की भी रही हो यही अधिकारी मुख्यमंत्री और रसूखदार मंत्रियों के यहां उनके दरवाजे और दरबार में मनचाही पदस्थापना पाने के लिए दरबारी बनकर बैठे रहते हैं। यही "देवपुरुष" *जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर अप्सराओं के साथ *मधुपान* करते हैं और फिर *ट्रैप* में फंसते हैं तब जाकर एक वीडियो के बदले एक करोड़ रुपए तक देते हैं। यह पैसा कहाँ से आता है ? ऐसे लगभग ऐसे 8 देवपुरुषों के वीडियो मेरे एक परिचित के पास हैं। मैं चाहता तो सब खुलासा करता लेकिन मैं यह नहीं चाहता कि यह गंदगी फैले और मेरा मध्यप्रदेश पूरे देश और दुनियां में कुकर्मी प्रदेश के रूप में जाना जाए। इस कारण मैं अभी तक चुप रहा। लेकिन ब्यावरा की घटना एवं 'देवपुरुषों' के अवांछित वक्तव्यों से अब पानी सिर से ऊपर निकल चुका है। मैं यह भी नहीं चाहता था कि ईडी, आईडी और सीबीआई जैसी संस्थाएं राज्य में आकर कार्यवाही करें और मेरे ही राज्य की फजीहत हो लेकिन जो 'देवपुत्र' गटकने की अति कर रहे हैं, उनके बारे में मुझे पार्टी की मंशा अनुसार तय करना है । विशेषकर उन देव पुत्रों के बारे में जिनको अंग्रेजी भाषा में "घुटना टेक" होने का हुक्म दिया जाता है तो वह रेंगने लगते हैं, फिर कहाँ जाता है उनका स्वाभिमान ? अरे जो असली स्वाभिमानी तो वो हैं जो वीआरएस लेकर प्रदेश छोड़ रहे हैं, जनाब फिर आप लोग किस इंतजार में हैं ? हे देव पुरुषों आपके पास तो गोली चलवाने, लाठी चलवाने से लेकर असीमित अधिकार हैं, सीआरपीसी आपकी दास है । परंतु जिस जनता के पास सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से सभा करके और जुलूस निकालकर अपनी बात कहने का अधिकार है, उस जनता के इन्हीं थोड़े से अधिकारों से आपको घोर आपत्ति और नफरत क्यों है? आखिर जनता क्या करें ? हे देवपुरुषो याद रखिये आपका यही व्यवहार और उससे निर्मित परिस्थितियां ही भारत में नक्सलवाद को जन्म देती हैं । मेरी आप सभी देवपुरुषों को एक सलाह है कि आप कमलनाथ जी और उनकी सरकार की शान में 1-1 चालीसा लिखें। जिस देवपुरुष का चालीसा प्रदेश के बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों को पसंद आएगा मैं उस देवपुरुष का अपनी ओर से नागरिक अभिनंदन करूंगा ।
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