Kirodi Lal Meena injured while protesting in cement factory of Sawai Madhopur in 1988 |
सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन,सवाईमाधोपुर में पुलिस कार्यवाही का "काला दिन" दिनांक 12 दिसंबर 1988
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सांसद किरोड़ी लाल मीणा जी की कलम से लिखा हुआ लेख पढ़िए
सांसद किरोड़ी लाल मीणा जी की कलम से लिखा हुआ लेख पढ़िए
12 दिसंबर 1988 को घटित हुई सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन, सवाईमाधोपुर की घटना को आज 31 वर्ष बीत गए। ये एक ऐसा दौर था जब सीमेंट फैक्टरी बन्द होने के कारण बेरोजगार हुए हजारो मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन चल रहा था और मैं उस समय राजनीति में युवा था और संघर्ष करने का जज्बा आपातकाल के समय ही सीख लिया था, वर्ष 1985 मैं महवा विधानसभा तत्कालीन सवाईमाधोपुर जिले से चुनकर विधानसभा में पहुँचा था और इस आंदोलन की आहट मेरे कानों में जैसे ही आनी शुरू हुई मैं अपने आप को नही रोक सका और जो संघर्ष की सीख मैंने कॉलेज की राजनीति से सीखी थी वो मुझे सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन में खींच लाई और हजारो की संख्या में आन्दोलनकारी सीमेंट फैक्ट्री को पुनः शुरू कराने के लिए प्रतिबद्धता के साथ जोर शोर से आंदोलन कर रहे थे और रोज कोई न कोई आश्वासन तत्कालीन सरकार की ओर से मिलता लेकिन आंदोलन कारी त्वरित व स्थाई न्याय चाहते थे , और 12 दिसंबर 1988 के दिन हजारो आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए थे और तभी तत्कालीन सरकार के इशारों पर पुलिस प्रशासन ने जनरल डायर वाला अंग्रेजी रुख अपनाते हुए लाठीचार्ज शुरू कर किया जिसने आंदोलन में शामिल बड़े-बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चो तक को नही छोड़ा गया और मेरी भी जिम्मेदारी थी कि मैं आंदोलन का नेतृत्व करता रहू और जब मैंने पुलिस अधीक्षक से लाठीचार्ज को रोकने की मांग की तो पुलिस ने अंग्रेजों का लिबास धारण कर नृशंस लाठीचार्ज की ऐसी इबारत लिख दी जो आज तक पुलिस के इतिहास का काला पन्ना बनी हुई है और इस आंदोलन के दौरान आज के दिन मुझे भी पुलिसिया लाठी का दमन सहना पड़ा और पुलिस मुझे तब तक मारती रही तब उन्हें लगा कि मेरी मौत हो चुकी है, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मन्जूर था ,लाठीचार्ज के बाद में तत्कालीन सरकार के निर्देश पर मुझे जयपुर SMS अस्पताल भेजने के बजाय अलवर जिला अस्पताल भेजा गया जहां न बेहतर चिकित्सक थे न बेहतर इलाज था और मुझे 03 दिन बाद जब होश आया तो मेरे शारीरिक हालात ऐसे थे जिन्हें मैं बयाँ नही कर सकता हूं, फिर मुझे दिल्ली एम्स रैफर किया गया और वहाँ महीनों के इलाज के बाद मेरी हालत में सुधार हुआ लेकिन पुलिस द्वारा मारी गई बेरहम लाठियों की चोट से मुझे कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक बीमारियों का शिकार बना दिया जिनका दंश मैं 31 साल के लंबे अंतराल के बाद भी भुगत रहा हूं । लेकिन इस आंदोलन से पैदा हुई संघर्ष की नई क्षमता ने मुझे और भी निडर,बेबाक बना दिया और इसी आंदोलन से पैदा हुई संघर्ष क्षमता का परिणाम है कि आज भी मैं आपके द्ववारा किसी भी अन्याय ,अत्याचार के खिलाफ बुलाने पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता हूं और यथासंभव न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत रहता हूं ।
डॉ किरोड़ीलाल मीणा
राज्यसभा सांसद
राजस्थान
Nice
ReplyDeleteBaba, You are Great.💖 🙏
ReplyDeleteLove you BABA ❤😘❤😘❤😘
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