माफी मांगने से बड़ा माफ करने वाला - पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत सिंधिया
क्षमावाणी पर्व मन की सफाई का पर्व - खाद्य मंत्री श्री तोमर
सकल जैन समाज ग्वालियर ने क्षमावाणी पर्व मनाया
जब तक मन की कटुता दूर नहीं होगी, तब तक क्षमावाणी पर्व मनाने का कोई अर्थ नहीं है। अतः जैन धर्म क्षमा भाव ही सिखाता है, हमें भी रोजमर्रा की सारी कटुता, कलुषता को भूल कर एक-दूसरे से माफी मांगते हुए और एक-दूसरे को माफ करते हुए सभी गिले-शिकवों को दूर कर क्षमा पर्व मनाना चाहिए। दिल से मांगी गई क्षमा हमें सज्जनता और सौम्यता के रास्ते पर ले जाती है। यह बात पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सकल जैन समाज ग्वालियर के क्षमावाणी पर्व महोत्सव चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कही।
सकल जैन समाज ग्वालियर द्वारा आयोजित क्षमावाणी पर्व महोत्सव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश सरकार के खाद्य नागरिक, आपूर्ति एवं उपभोक्ता सरंक्षण मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, क्षेत्रीय विधायक श्री मुन्नालाल गोयल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्री देवेन्द्र शर्मा, कार्यक्रम संयोजक श्री दिनेश जैन, चेम्बर ऑफ कॉमर्स के मानसेवी सचिव श्री प्रवीण अग्रवाल, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. वीरेन्द्र गंगवाल, प्रतिष्ठाचार्य श्री पं. अजीत शास्त्री, जैन महिला परिषद प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. आदर्श दीवान, पूर्व महाधिवक्ता म.प्र., श्री आर.डी. जैन, दि. जैन सोशल गु्रप फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनिल शाह सहित बडी संख्या में जैन समाज के नागरिकगण उपस्थित थे।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत सिंधिया ने कहा कि मनुष्य से गलती होना गलत बात नहीं है। परंतु अपनी गलती का अहसास कर सामने वाले से क्षमा मांगना कोई अपराध नहीं है। श्रीमंत सिंधिया ने कहा कि क्षमावाणी का पर्व आप अपने समाज और धर्म तक सीमित मत रखो। क्षमावाणी के पर्व में हर समाज के व्यक्ति को समिलित करो। क्षमावाणी पर्व को घर-घर तक पंहुचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि क्षमावाणी पर्व मन की सफाई का पर्व है। आपकी समाज में दूसरों के प्रति दया की जो भावना है वह केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व में जैन समाज के लोगो की अलग पहचान रखती है। जैन समाज न्याय और शान्ति का वातावरण तैयार करने वाला समाज है। सबसे महत्वपूर्ण आपकी एक विचार धारा जीयो और जीने दो। आज देश में कितनी कटुता फैली है हर कोई चाहता है कि उसकी चले लेकिन जैन समाज सबको साथ लेकर चलने की क्षमता रखता है।
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