Tejashwi Yadav at Home in Patna, Bihar |
पटना में इन दिनों सभी नियमों को ताक पर रख अतिक्रमण के नाम पर अतिक्रमित स्थल के साथ-साथ कई ऐसे दुकान, भवन, रैन-बसेरा, बाजार इत्यादि जो नियमित रूप से पुरवर्ती सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, को तोड़े जा रहे है।
इसी क्रम में अबतक बकरी बाजार, मछली बाजार, दुग्ध मार्केट, फल मार्केट इत्यादि जो कि सरकार द्वारा सरकारी राषि से निर्मित कर किसानों, मछली व्यापारियों, दुग्ध व्यवसासियों, फल विक्रेताओं को आवंटित किया गया था ताकि गरीब अपना व्यवसाय कर अपने परिवार का जीवन-यापन कर सके।
ये सारी कार्रवाई किस आधार पर एवं किस आदेश के आलोक में किया जा रहा है? बिना पूर्व नोटिस आदि के बिना अतिक्रमित स्थल चिन्हित किए, बिना पुर्नवास की कार्रवाई किए आखिर सरकार कैसे गलत-सही की गणना किए बगैर अविवेक पूर्ण ढंग से गरीबों के पेट पर लात मार रही है एवं उसके करोड़ों की सम्पत्ति का विनाष कर उन्हें बेरोजगार बना रही है?
आज विभिन्न अखबार पत्रों के माध्यम से मालूम हुआ कि इनकम टैक्स गोलम्बर पर दशकों से फल विक्रताओं को भी बिना पुर्नवास किए हटाने की कार्रवाई करने जा रही है। सरकार मंदिरों को भी तोड़ रही है। प्रशासन बताएॅं पटना में कितने मंदिर-मस्जिद अतिक्रमित जमीन पर बने है। कोई सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है?
राष्ट्रीय जनता दल इन दुकानों को अतिक्रमित घोषित करने संबंधित कागजात और पीड़ितों को पुर्नवास करने की योजना के ब्लूप्रिंट की मांग करती है। अगर यह अतिक्रमण कार्रवाई नियमसंगत नहीं हैं तो इसे अविलम्ब बन्द करने तथा अगर नियमसंगत ढंग से अतिक्रमण घोषित किया गया है तो प्रभावित लोगां का पहले पुर्नवास करने की मांग करती है और तोड़-फोड़ करने से पहले उन्हें तोड़ने संबंधी आदेश की लिखित प्रति मुहैया कराकर कार्रवाई की जाय।
गरीबों के पेट पर लात मारकर घर उजाड़ने का खामियाजा सरकार को भुगतना ही पड़ेगा।
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