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देश के प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों के नाम विनोद कापड़ी और साक्षी जोशी का खुला ख़त !

 Vinod Kapri , vinod , kapri, sakshi, joshi, pihu, peehu
Vinod Kapri 
देश के प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों के नाम खुला ख़त

माननीय प्रधानमंत्री जी और देश के सभी सम्मानिय मुख्यमंत्री जी ,
ये खुला खत हम आपको बहुत ही भारी मन से व्यथित होकर लिख रहे हैं. इसे किसी पत्रकार की नहीं बल्कि एक माता पिता की चिट्ठी समझकर पढियेगा. और आपको इसलिए लिख रहे हैं कि आप देश के प्रधानमंत्री , राज्यों के मुख्यमंत्री है़ं और इस देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी आपकी भी है.

क्या आप जानते हैं कि आज से 25 दिन पहले इस भारत देश में एक बच्ची ने जन्म लिया था जिसे नाम दिया गया अज्ञात शिशु (unknown baby) और ठीक 25 दिन बाद उस अज्ञात ने दम तोड़ दिया.
वो अज्ञात क्यों थी?
उसने 25 दिन में ही दम क्यों तोड़ दिया? वो और क्यों नहीं जी पाई?
क्या उसे हमारे सिस्टम, हमारे कानून ने मारा?
या उसकी मौत तय थी?

आज उस फूल सी बच्ची के अंतिम संस्कार से जब हम जयपुर से दिल्ली की तरफ लौट रहे हैं और आठ लेन के नए भारत की सड़क पर हमारी गाड़ी दौड़ रही है तो ये सारे सवाल मन में आ रहे हैं. हम सोच रहे हैं कि सुपरपावर बनने की दिशा में बढता देश एक छोटी सी बच्ची को क्यों नहीं बचा पाया? आपको शायद इस घटना की पूरी जानकारी नहीं होगी इसलिए संक्षेप में इसे हम यहां लिख रहे हैं.


14 जून को हमने ट्विटर पर एक वीडियो देखा जिसमें एक नवजात बच्ची कूड़े के ढेर में पड़ी थी और बुरी तरह कराह रही थी. ये वीडियो किसी भी इंसान को द्रवित कर सकता था, हमें भी किया. हमने तुरंत ट्विटर पे लिखा कि क्या कोई ये बता सकता है कि ये वीडियो और बच्ची कहां की है? हम इसे गोद लेना चाहते हैं. ट्विटर पर सक्रिय लोगों की भलमनसाहत का नतीजा कि 14 जून 2019 को 2 घंटे के अंदर ही पता चल गया कि बच्ची 12 जून को राजस्थान के नागौर ज़िले में कूड़े के ढेर पर पड़ी मिली थी. कुछ गांव वालों ने उसे अस्पताल पहुंचाया और फिलहाल नागौर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. हमने तुरंत अस्पताल के शिशु विभाग के प्रमुख डॉ आर के सुतार से बात की, उन्हें बताया कि हम इस बच्ची को गोद लेना चाहते है़
इसकी देखरेख और इसका उचित इलाज करना चाहते हैं. उस वक्त फोन करने का एकमात्र मकसद ये था कि ये सिस्टम, हमारे सरकारी कानून और उससे बंधे डॉक्टर कहीं इस गलतफहमी में न रहें कि इस बच्ची का कोई नहीं है और आगे भी कोई नहीं होगा. बच्ची की जो और जैसी भी हालत थी , हम उसे गोद लेने के अपने फैसले पर कायम रहे और अगले ही दिन 15 जून 2019 को नोएडा से नागौर के लिए रवाना हुए. हमारा मक़सद एक बार फिर सिस्टम और डॉक्टरों को ये बताना था कि बच्ची लावारिस नहीं है और उसे लावारिस न समझा जाए. चाहे कानूनी तौर पर वो हमारी बेटी न बनी हो.

15 जून की रात हम पहली बार बच्ची से मिले, उसका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक था. उसे सिर्फ पीलिया की शिकायत थी जो आमतौर पर सभी नवजात बच्चों को होती है. तब तक बच्ची के बारे में सोशल मीडिया के ज़रिए देश और विदेश में बहुत चर्चा होने लगी थी और ट्विटर पर सक्रिय कुछ लोगों ने बच्ची को पीहू कहके पुकारना शुरु कर दिया था. अगले दिन 16 जून को हम एक बार फिर बच्ची से मिलने पहुंचे. शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ आर के सुतार भी हमारे साथ थे. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि बच्ची की देखभाल अच्छे से हो रही है. हमारे पास उनकी बात पर भरोसा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. इतना ही नही् , हमने देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन की भी डॉ सुतार से बात करवाई। मक़सद फिर वही संदेश था कि बच्ची अनाथ नहीं है।

16 जून को ही हम नागौर के कलेक्टर दिनेश चंद्र यादव से मिले और बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई. कलेक्टर नो हमें बताया कि कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे को तुरंत गोद देने का प्रावधान नहीं है और हमें CARA (Central adoption resource authority) में अप्लाई करना होगा. हमने पूछा कि जब तक बच्ची को परिवार नहीं मिल जाता क्या तब तक हम उसकी देख रेख कर सकते हैं? तो उनका जवाब था कि कानून में इसका भी कोई प्रावधान नही है. बच्ची को सरकार के संरक्षण में ही रहना होगा. हमने उसी वक्त सोचा कि ये सरकार कौन है? इस सरकार का कौन सा वो चेहरा है या इस सरकार का कौन सा वो व्यक्ति है ? और उस व्यक्ति का क्या नाम है जो इस बच्ची की देखभाल करेगा और सुबह शाम खबर लेगा. जवाब न हमारे पास था न कलेक्टर के पास. यही वो सवाल है जिसका जवाब ढूंढने के लिए ये खत हम आपको लिख रहे हैं क्योंकि आज जब बच्ची नहीं रही तो पता चल रहा है कि “ सरकार के संरक्षण में बच्ची है “ , इसका मतलब एक नहीं कई सारे विभाग हैं . बाल विभाग , सामाजिक कल्याण विभाग , पुलिस , अस्पताल और CARA. इतने सारे विभाग मिलकर सरकार बनती है और इतने सारे विभागों के बावजूद एक भी इंसानी चेहरा नही् , जो बच्ची का ख़्याल रख सके। इस पर हम बाद में आएँगे।

तो नागौर में बच्ची से मिलने के एक दिन बाद 18 जून को हम CARA में रजिस्टर हो गए। हमें बताया गया कि नियम बड़े सख़्त हैं।प्रकिया बड़ी लंबी है। बच्ची आपको मिलेगी भी या नहीं - ये भी भी बहुत मुश्किल है। लेकिन इन सब बातों की परवाह किए बिना हम दिन रात नागौर में पीहू की ख़बर लेते रहे। डॉ आर के सुत्तार इस बात के गवाह हैं कि उनके पास दिन में रोज़ तीन फ़ोन आते थे कि नहीं। मक़सद एक बार यही बताना था कि बच्ची अनाथ नहीं है। हालाँकि हम जानते थे कि क़ानूनी तौर पर हमारा बच्ची पर कोई अधिकार नहीं है और डॉक्टर जिस दिन चाहे हमें मना कर सकते थे।

इसी दौरान 23 जून के आसपास हमें पता चला कि बच्ची को जब भी दूध पिलाओ , उसका पेट फूल जाता है और वो पूरा दूध उल्टी की शक्ल में बाहर निकाल देती है। हमने डॉक्टर सुत्तार से पूछा कि ख़तरे की कोई बात तो नहीं ? उन्होंने कहा : बिलकुल नहीं। हम भरोसा करने के अलावा और क्या कर सकते थे
फिर तक़रीबन 28 जून को हमें पता चला कि Vomiting तो हो ही रही है , Hemoglobin count भी गिर गया है और blood transfusion होगा। डॉक्टर सुत्तार से फिर पूछा कि कोई ख़तरा तो नहीं ? उनका जवाब था कि blood transfusion से Hemoglbin ठीक हो जाएगा। हमने फिर भरोसा किया। इसके बाद 30 जून को हमें फिर पता चला कि आज भी blood transfusion होगा। समझ में नहीं आया कि 18 दिन की बच्ची के साथ ये क्यों हो रहा है ? अपने एक दो जानने वाले डॉक्टरों से बात की तो उन्होंने संदेह जताया कि बच्ची की बीमारी या तो ठीक से diagnosis नहीं हो पायी है या line of treatment ठीक नहीं है। यही बात हमने डॉक्टर सुतार को बताई।और इसके ठीक एक दिन बाद 2 जुलाई को डॉ सुतार का फ़ोन आया कि बच्ची को हम जोधपुर के उम्मेद हॉस्पिटल रेफर कर रहे हैं। हमने पूछा कि ऐसा अचानक क्या हुआ तो उन्होंने बस इतना बताया कि इंफ़ेक्शन है।हमने फिर भरोसा किया। हमारे पास यही विकल्प भी था।

3 जुलाई तक आते आते हमने जोधपुर उम्मेद हॉस्पिटल के डॉक्टर अनुराग सिंह से बात की तो उन्होंने जानकारी दी कि बच्ची की हालत वैसी नहीं है , जैसी उन्हें बतायी गई थी।बच्ची की आँतों में बहुत इंफ़ेक्शन है और उसके मुँह से दूध नहीं , बल्कि उसका अपना stool बाहर निकल रहा है।उन्होंने ये भी बताया कि जोधपुर में बच्ची का इलाज संभव नहीं है।इसे तुरंत जयपुर के JK LON Hospital भेजा जाना चाहिये लेकिन हमारे पास बच्ची को जयपुर तक भेजने के लिए जैसी एम्बुलेंस होनी चाहिए , वैसी एम्बुलेंस नहीं है। हमने तुरंत अपने संपर्कों के ज़रिए राजस्थान के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुँचायी। ट्विट किया और मदद की अपील की।

अगले दिन 4 जुलाई को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने हमें ट्विट करके सूचित किया कि बच्ची को JK LON जयपुर में शिफ़्ट कर दिया गया है और उसे JK LON के MS डॉ अशोक गुप्ता की निगरानी में बेहतरीन इलाज दिया जाएगा। क़ानूनी तौर पर हम उस बच्ची के कोई नहीं थे लेकिन जब सार्वजनिक तौर पर हमें एक राज्य के उपमुख्यमंत्री की तरफ से सूचना दी गई तो हमें लगा कि अब सिस्टम काम करेगा। इसके बावजूद एक दिन बाद 6 जुलाई को हम जयपुर पहुँचे। बच्ची से JK LON अस्पताल में मिले।एक बार फिर सबको ये बताने के लिये कि ये बच्ची लावारिस नहीं है।हालाँकि तब तक सिस्टम को ये बात पता चल चुकी थी लेकिन बच्ची के नाम के आगे फिर लिख दिया गया था : Unknown baby. कम से कम CARA की तरफ से दिया नाम गंगा ही लिख देते। हमने पूछा तो जवाब मिला कि हमारे रिकॉर्ड्स में ये Unknown ही है। हम भी कुछ नहीं कर सकते थे। सोचा कि इस वक्त बेहतर इलाज हो जाए - इतना काफ़ी है।

जयपुर में JK LON के अधीक्षक डॉक्टर अशोक गुप्ता ने बताया कि कि आँतों में इंफ़ेक्शन इस क़दर बढ़ गया है कि सारी आंते उलझ गई हैं।शरीर के जिस हिस्से से stool pass होना चाहिए , वहाँ से ना हो कर मुँह से हो रहा है। Infection रोकने के लिए दी जा रहीं anti biotics काम नहीं कर रही हैं।अब उपाय बस एक ही है कि जल्द से जल्द सर्जरी की जाए।रविवार ( 7 जुलाई )सुबह 9.30 बजे का वक्त तय हुआ।डॉक्टरों की पूरी टीम सर्जरी के लिए 8.30 बजे ही पहुँच गई थी।सर्जरी से पहले के सारे ज़रूरी टेस्ट किए जाने लगे । Anaesthesia की तैयारी शुरू हुई और फिर तक़रीबन सुबह 9 बजे आई एक बुरी ख़बर ... बच्ची के Platlett count गिर कर 8000 तक पहुँच गए हैं और कम से कम आज तो सर्जरी नहीं हो सकती है। वो सर्जरी , जिसका 7 जुलाई को होना बेहद ज़रूरी था।डॉक्टरों की टीम दुखी थी।लेकिन साथ ही उन्हे विश्वास भी था कि ये बच्ची लड़ाका है .. अभी और लड़ेगी और खुद को तैयार कर लेगी ऑपरेशन के लिए .. तभी
JK LON अस्पताल के ICU में पीहू की उम्र के ही 25-30 बच्चों में से एक बच्चे के रोने की आवाज़ आई .. पाँच सेंकेंड के अंदर दूसरा बच्चा रोने लगा .. और फिर तीसरा .. और चौथा .. मानों सब अपनी इस बच्ची के साथ खड़े हो गए हों।

पीहू की बीमारी बेहद गंभीर थी।ऑपरेशन ही एकमात्र सहारा था।वो लगातार वेंटिलेटर के सपोर्ट पर थी। आधे फ़ीट जितने शरीर को चारों तरफ से तारो ने जकड़ा हुआ था।इतनी तारें कि उसमें शरीर तक नहीं दिख रहा था।पेट के पास एक पाइप लगा कर drain बना दिया गया ताकि उसका stool उस पाइप के ज़रिए शरीर से बाहर आ सके। सोचिए , इतनी छोटी सी बच्ची को क्या क्या देखना पड़ रहा था ।

और फिर 8 जुलाई को सुबह 11.30 बजे हमें ख़बर मिली कि बच्ची नहीं रही। हमें किसी ने बताया हो , ऐसा बिलकुल नहीं था।हम ही बार बार फ़ोन करके पूछ रहे थे।हमारे पूछने पर डॉ विष्णु ने बताया कि शायद वो बच्ची कल शाम ही expire कर गई है। हम सन्न थे। कल शाम तक तो हम जयपुर में ही थे।फिर हमें क्यों नहीं पता चला ? हमने पूछा : Are you 100% sure ? उनका जवाब था कि रूकिए फिर से confirm करता हूँ। हमने आनन फ़ानन में अस्पताल के अधीक्षक डॉ अशोक गुप्ता को फ़ोन लगाया कि क्या उस बच्ची की death हो गयी है ? तो डॉ गुप्ता का जवाब था कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।मै आपको पता करके बताता हूँ। तक़रीबन 25 मिनट बाद दोपहर 12 बजे हमें बताया गया कि हाँ .. बच्ची नहीं रही। सुबह 4 बजे उसने आख़िरी साँस ली थी। 8 जुलाई को सुबह चार बजे वो बच्ची ये दुनिया छोड़ कर चली गई।

ख़बर मिलते ही हम जयपुर के लिए रवाना हो गए। रास्ते भर यही coordinate करते रहे कि उसे जन्म के बाद तो सम्मान नहीं मिला।कम से कम मृत्यु के बाद तो सम्मान मिले।उसे जन्म के बाद तो माता पिता नहीं मिले। कम से कम मृत्यु के बाद तो उसके ऊपर माँ बाप का साया हो। तमाम नियम क़ानून से हटकर। शाम 6 बजे हम जयपुर पहुँच कर सीधे mortuary गए। देखकर व्यथित हो गए कि 25 दिन की एक फूल सी बच्ची 10–12 और क्षत विक्षत शवों के बीच रखी गई थी। लग रहा था कि वो गहरी नींद में है और परियों के सपने देख रही है। 16 जून के बाद एक बार फिर अपनी बच्ची को गोद मे उठाया , उसके बाल सहलाए , उसके गाल सहलाए।उसे बहुत सारा प्यार किया तो गोद में रखे रखे पहली बार एहसास हुआ कि The Smallest coffins are the heaviest.. दुनिया का सबसे भारी बोझ .. माता पिता की गोद में बच्ची का शव और वो भी 25 दिन की बच्ची। उसे फिर से अंदर ले जाया गया और पोस्टमार्टम हाउस का दरवाजा बंद हो गया। हमने डॉक्टरों से पूछा कि क्या ये बच्ची रात भर इन्ही् शवों के बीच रहेगी ? तो जवाब था कि हाँ जब तक सारी औपचारिकताएँ पूरी नहीं हो जातीं , तब तक। औपचारिकता ये कि पहले जिस जगह नागौर ये बच्ची लावारिस मिली , पहले वहाँ की पुलिस जयपुर आएगी। पंचनामा बनाएगी। मेडिकल बोर्ड बैठेगा।बच्ची के पोस्टमार्टम तय करेगा।तब जा कर पोस्टमार्टम होगा और फिर अंतिम संस्कार।

अगले दिन 9 जुलाई को हमारी बस एक ही मंशा थी कि जिस बच्ची को जन्म के बाद माँ बाप नहीं मिले , उसे कम से कम मृत्यु के बाद तो माता पिता मिल जाएँ। हम दो दिन से जयपुर में थे। सरकार , पुलिस , बाल विभाग का दिल पसीजा और पोस्टमार्टम के बाद सरकार के नुमांइदो की मौजूदगी में हमने माता पिता के तौर अपनी बच्ची को विदा किया। क्या विडंबना है कि जिस बच्ची को जीते जी माँ बाप नहीं मिल सके , उसे मृ्त्यु के बाद ये सब नसीब हो पाया। काश , जीवन रहते उसे माँ बाप मिल जाते तो वो हमारे बीच होती।

तो ये थी इस बच्ची की 25 दिन की इस दुनिया में यात्रा।लेकिन इस छोटी सी बच्ची ने इस देश के गोद लेने के क़ानून और हमारे सिस्टम पर कुछ बेहद बड़े सवाल किए हैं :
⁃ ये सरकार कौन है और उसका इंसानी चेहरा कौन है जो ऐसे बच्चों का ख़्याल रख सके ?
⁃ अगर कोई सरकार है और उसके पास इंसानी चेहरे हैं तो 25 दिन तक इनमें से एक भी चेहरा हमारी बच्ची के पास एक बार भी क़्यों नहीं आया?
⁃ इन पूरे 25 दिनों के दौरान सरकार यानि पुलिस ,प्रशासन , बाल शिशु गृह , CARA अस्पताल कहाँ थे ??
⁃ डॉक्टरों का तो काम था इलाज करना लेकिन क्या एक बार भी शिशु गृह , बाल कल्याण समिति ( CWC) , CARA से कोई भी इस बच्ची को देखने आया और आया तो उसने क्या किया ?
⁃ कौन नागौर के डॉ सुतार और वहाँ के डॉक्टरों के काम पर नज़र रख रहा था और अगर रख रहा था तो 13 जून से 2 जुलाई तक नागौर में बच्ची की बिगड़ती हालत पर सब चुप क्यों रहे ?
⁃ बच्ची मुँह से दूध उलट रही है या मुँह से अपना stool निकाल रही है , ये बात नागौर के डॉक्टरों को बात क्यों नहीं समझ आई ? और इस पूरे घटनाक्रम में CWC , CARA कहाँ था ?

⁃ बच्ची को नागौर से जोधपुर और जोधपुर से जयपुर भेजने का फ़ैसला इतनी देर से क्यों लिया गया ?
⁃ नागौर के अस्पताल में पहुँचने के दूसरे दिन ही देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने डॉ सुतार को फ़ोन करके बच्ची का ख़्याल रखने की हिदायत दे दी थी। जब स्वास्थ्य मंत्री की हिदायत के बावजूद बच्ची नहीं बची तो सोचिए देश के बाक़ी अनाथ बच्चों का क्या हाल होता होगा ?
⁃ एक लावारिस बच्ची को जब पहले ही दिन उसकी देखभाल करने के लिए माता पिता मिलने जा रहे थे तो उन्हें क्यों क़ानून की बेड़ियों में जकड़ा गया ?
⁃ पहले दिन ही ऐसे माता पिता को ये अघिकार ( भले ही वो अस्थायी हो ) क्यों नहीं दे दिया गया कि वो बच्ची के भले के लिए फ़ैसले करे और जो भी अच्छा बुरा होगा , उसके ज़िम्मेदार वो होंगे ? जैसे माँ बाप अपने बच्चों के लिए करते हैं ।
⁃ जो ख़तरे की बात जोधपुर के डॉ अनुराग को 3 जुलाई को कुछ ही घंटो में पता चल गई थी वो बात नागौर को 20 दिन तक क्यों नहीं पता चली ? और समझ में नहीं आ रहा था तो पहले ही रेफर क्यों नहीं कर दिया गया ?
⁃ ये गोद लेने का ही क़ानून का ही असर है कि बच्ची का ढाई हफ़्ते तक नागौर के छोटे से अस्पताल में इलाज चलता रहा , उसकी हालत बिगड़ती ही चली गई । ये भी गोद लेने का क़ानून का ही असर है कि उसे नागौर से जयपुर ना भेजकर जोधपुर भेजा गया और जोधपुर को भी 24 घंटे ही समझ आ गया कि हालात ठीक नहीं हैं।और ये भी गोद लेने का क़ानून का ही असर है कि जब बच्ची जयपुर पहुची तो बुरी तरह इंफ़ेक्शन में जकड़ी हुई थी और जो सर्जरी एक हफ़्ते पहले हो जानी चाहिए थी , वो हो ही नहीं पाई।गोद लेने के इस क़ानून में पहले दिन से ही कोई इंसान क्यों नहीं जुड़ जाता जो बच्चे के बारे में फ़ैसले ले सके ? एक नवजात बच्चे को भी सरकार सिर्फ एक फ़ाइल क्यों मान लेती है कि जैसे फ़ाइल आगे बढ़ती रहती है , वैसे ही बच्चे भी बढ़ जाएँगे ? वो भी इतने छोटे और गंभीर बीमार बच्चे ?
⁃ क्या कोई एक भी व्यक्ति , विभाग , एजेंसी बताएगी कि पीहू या इस जैसे बच्चे ऐसे हालात तक क्यों पहुँचते हैं कि वो सर्जरी के लायक भी नहीं रही ?

⁃ वो क्यों अकेले ही नागौर के अस्पताल में लड़ती रही बिना ये जाने कि उसका छोटा सा इंफ़ेक्शन कुछ दिन बाद उसकी जान लेने वाला है ?
⁃ हम नोएडा से दिन में तीन तीन बार नागौर फ़ोन करके बच्ची की ख़बर ले सकते थे तो CWC और CARA जिसकी ज़िम्मेदारी थी , वो क्या कर रहे थे ?
⁃ CARA के CEO ने तो बाक़ायदा ट्विट करके लिखा था कि बच्ची का नाम गंगा रख दिया गया है तो वो क्यों मृत्यु तक Unknown baby का टैग लिए घूमती रही ? वो क्यों Unknown baby के तौर पर अस्पताल से ले कर पोस्टमार्टम हाउस तक जानी गई ?
⁃ सुबह 4 बजे मृत्यु होने के बावजूद 14 घंटे में शाम 6 बजे तक उसका पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ ? उस छोटी सी बच्ची को क्यों पूरी रात तमाम शवों के बीच गुज़ारनी पड़ी ?अगर उसके माता पिता होते या हमें ही अस्थायी तौर पर उसके माता पिता बनने का अधिकार मिलता तो ये हम कभी होने देते ? हरगिज़ नही्।
⁃ जयपुर में बच्ची की सर्जरी की तारीख 7 जुलाई तय हुई लेकिन तब तक उसकी हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि सर्जरी असंभव थी । इस जानलेवा देरी के लिए कौन ज़िम्मेदार है ? नागौर के डॉक्टर ? नागौर का CWC ? राजस्थान की सरकार ??दिल्ली का CARA ? या केंद्र में बैठे लोग ? या हमारे जैसे माता पिता जो दिल से तो बच्ची को अपना मान चुके हैं पर क़ानूनी तौर पर कुछ नहीं कर सकते ?
⁃ इतना ही नहीं , अगर बच्ची के संरंक्षण की ज़िम्मेदारी सरकार की थी और खुद राज्य के उपमुख्यमंत्री दिलचस्पी ले रहे थे तो JK LON अस्पताल के अधीक्षक तक को बच्ची की मौत की खबर हम से क्यों मिली ? कहाँ थी वो सरकार ओर कहाँ है वो सरकार जिसे इस बच्ची को संरक्षण देना था ?
⁃ और एक सवाल तो सब के लिए .. पूरे देश के लिए .. जिस बच्ची को दो पत्रकार गोद लेना चाहते हों , जिस बच्ची पर पूरी दुनिया की नज़र थी , जिस बच्ची के लिए देश के स्वास्थ्य मंत्री ने फ़ोन किया हो , जिस बच्ची पर राज्य के उपमुख्यमंत्री हो , अगर ऐसी बच्ची को हम नहीं बचा पाए तो हमें समझ लेना चाहिए कि इस देश का सिस्टम बुरी तरह सड़ और गल गया है।


आदरणीय प्रधानमंत्री जी और तमाम मुख्यमंत्री जी ,
ये ही हमारा आख़िरी सवाल है। जब सरकार थी तो जो बच्ची आराम से बच सकती थी , उसे क्यों नहीं बचाया जा सका ? हमारे हिसाब से बच्चे की स्वाभाविक मृत्यु नहीं हुयी है। उसे हमारे घिसे पिटे संवेदनहीन क़ानून और सड़ चुके सिस्टम ने मारा है। हमारी माँग है कि हमारी बच्ची की मृत्यु की न्यायिक जाँच होनी चाहिए।आप सब नीति निर्धारक है। देश और लोगों के लिए अच्छा ही सोचेंगे। हमारा बस एक ही सुझाव है। और वो ये कि अगर किसी बच्चे को पहले दिन ही तुरंत अस्थायी Guardians या foster parents मिल रहे हैं तो बिना देर किए क़ानूनी लिखा पढ़ी करके बच्चे/बच्ची को तुरंत ऐसे parents को सौंप देना चाहिंए .. भले ही ये व्यवस्था अस्थायी क्यों ना हो। हम ये दावे के साथ कह सकते हैं कि हमारी पीहू के बारे में फ़ैसले करने का अधिकार पहले दिन से हमारे पास होता तो हम इसे बचा ले जाते ।
दूसरा ,प्लीज़ जिस बच्चे को कुछ भी समझ नहीं है उसे अज्ञात या Unknown baby लिखना बंद कीजिए।कोई बच्चा कैसे Unknown हो सकता है।Unknown तो उसके माँ बाप हैं। बच्ता तो सामने है और Unknown नहीं , Well known है। पीहू आप लोगों के लिए बहुत सारे सवाल छोड़ गई है। आपका काम है उन सवालों के जवाब ढूँढना और हल निकालना वर्ना देश की तमाम पीहू यूँ ही असमय मृत्यु की शिकार होती रहेंगी और आप सब ऐसी मौत के ज़िम्मेदार ठहराए जाते रहेंगे ? सारे भ्रष्टाचार कर लीजिए। कम से कम शिशु वध का पाप तो अपने सर मत लीजिए। सामने आइए और बचाइए : एक नहीं , हज़ारों पीहू/गंगा को।

आपकी पहल और क़ानून में सुधार के
इंतज़ार में
-साक्षी जोशी / विनोद कापड़ी

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  Tik Tok Washington, D.C. – President Donald J. Trump has announced plans to issue an executive order on Monday aimed at extending the period before prohibitions against TikTok take effect, providing time to negotiate a deal that protects U.S. national security while preserving access to the popular app. “I’m asking companies not to let TikTok stay dark!” the President declared, emphasizing the importance of keeping the platform operational. He stated that his executive order would shield any companies assisting in this effort from liability, ensuring the app remains available to Americans. “Americans deserve to see our exciting Inauguration on Monday, as well as other events and conversations,” Trump added, underscoring the need to maintain TikTok’s presence as a medium for communication and engagement during the historic occasion. JUST IN: Texas Attorney General Ken Paxton Sues TikTok Over Child Safety Concerns A Proposal for U.S. Ownership in TikTok President Trump floated the...

President Trump Official Swearing-In Ceremony at The National Mall in Washington, DC on Monday, January 20, 2025

  Donald Trump President Trump Official Swearing-In Ceremony at The National Mall in Washington, DC on Monday, January 20, 2025 The stage is set for one of the most historic moments in American political history: the Official Swearing-In Ceremony of President Donald J. Trump and Vice President JD Vance. The event will take place on Monday, January 20, 2025 , at 12:00 PM (US/Eastern) on the National Mall , located on the Eastern Front of the United States Capitol in Washington, DC . A Triumphant Return to the National Mall Eight years to the day after his first inauguration as the 45th President of the United States, Donald J. Trump will once again ascend the Capitol steps to deliver his second Inaugural Address. Supporters are expected to gather by the thousands to witness this monumental occasion. How to Reserve Your Spot The Trump Inaugural Committee has announced that all attendees must register for tickets. Each mobile number is eligible for up to two (2) RSVPs per event , w...

Ivanka Trump's special moments ahead of Inauguration Day at The National Mall in Washington, DC on Monday, January 20, 2025

  Ivanka Trump Ivanka Trump's special moments at the White House ahead of Inauguration Day at The National Mall in Washington, DC on Monday, January 20, 2025 Washington, D.C. – As the highly anticipated Inauguration Day on Monday, January 20, 2025, draws near, Ivanka Trump, the former first daughter and senior adviser, shared an emotional tribute reflecting on cherished memories from her family's time at the White House. In a heartfelt social media post, Ivanka reminisced about the unique moments she experienced during her father, Donald J. Trump’s , first term as President. These reflections come as her father prepares to take the oath of office once again, becoming the 47th President of the United States . A Walk Down Memory Lane Ivanka’s message highlighted some deeply personal and family-oriented memories: The First Arrival : "As the Inauguration approaches, I find myself filled with gratitude as I reflect on special moments with my father and family from eight years...

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