Kapil Sibal Press briefing on #ModiLiesToSupremeCourt (Image Source ANI)
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राफेल घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा भाजपा को क्लीन चिट दिए जाने के बाद, कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को AICC HQ में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा की, सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले में प्रेस रिपोर्ट और सरकार के हलफनामे का हवाला दिया गया है, सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट के न्यायाधिकार के कारण वो फैसला नहीं कर सकते, फैसले में कुछ ऐसे तथ्य हैं जो शायद सरकार के हलफिया बयान के कारण सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आये हैं। यदि सरकार कोर्ट में गलत तथ्य पेश करती है तो उसके लिये सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है न कि कोर्ट, अगर हिंदुस्तान के संवैधानिक कार्यालय का एक वकील कोर्ट में पेश होता है और गलत तथ्य कोर्ट में पेश करता है तो वो सरकार की गलती है और उस वकील की गलती है , कांग्रेस पार्टी इस मामले में कभी भी कोर्ट में पार्टी नहीं थी और इस बात को हम पहले भी कह चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट ने फाईलें नहीं मंगवाई और नोटिंग नहीं देखी तो फिर अपनी पीठ थपथपाना कि ‘क्लीन चिट’ मिल गया ये बचकानी बातें हैं, राजनाथ सिंह जी ने देश को गुमराह किया है और कोर्ट को भी गुमराह किया है इसलिये उनको माफी मांगनी चाहिए, वित्त मंत्री अगर अपने मंत्रालय का ध्यान ज्यादा रखें और फिक्शन कम पढ़ें तो ज्यादा बेहतर होगा, रक्षा मंत्री को पता है कि सच्चाई क्या है लेकिन इस सरकार में सच्चाई को छुपाने की आदत हो चुकी है, हमारी मांग पहले भी रही है और आगे भी होगी कि बिना जेपीसी के बात आगे नहीं बढ़ सकती, खड़गे साहब पीएसी के अध्यक्ष है और उनके सामने कोई रिपोर्ट आयी ही नहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में इस प्रकार की तथ्यात्मक गलतियां होने लगीं तो इसका जिम्मेदार कौन है? ये बेहद संगीन मामला है इस पर कार्रवाई होनी चाहिए, जनता में तो ये संदेश जाता है कि CAG, PAC, संसद सबने देख लिया, लेकिन ये संदेश ही अपने आप में असत्य है, रिलायंस डिफेंस का गठन 28 मार्च को हुआ, रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड का गठन ही 24 अप्रैल को हुआ। 24 से 30 अप्रैल के बीच ही डसॉल्ट ने संयुक्त उद्यम का फैसला कैसे कर लिया? डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि हमने संयुक्त उद्यम का फैसला इसलिये किया क्योंकि रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड के पास जमीन थी, जो कि गलत बात है, 13 मार्च को जब वर्क शेयर एग्रीमेंट साईन हो गया तो ये बात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्यों नहीं रखी, क्योंकि सरकार सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करना चाहती थी, अगर सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार सही बात ही न रखे तो ये सरकार की गलती है। क्योंकि इनकी मंशा यही है कि किसी तरह से जेपीसी जांच न हो और मोदी जी बचे रहें.
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