कई लोगों को लिखते-पढ़ते देख रहा हूं कि मी टू में हिंदी पट्टी या हिंदी मीडिया की लड़कियां क्यों नहीं लिख रही है? क्यों नहीं हिंदी मीडिया में यह विमर्श नहीं बन पा रहा है? हैरानी की बात है कि ऐसा सवाल उठाने वालों में कुछ हिंदी जमात के भी लोग हैं।
पहली बात कि कुछ हिंदी मीडिया की लड़कियों ने भी बड़ी बेबाकी से आवाज उठायी। ऐसे में उल्टे सवाल उनसे पूछे जाने चाहिए कि उन्होंने इस आवाज को जहग क्यों नहीं दी? नजर नहीं गयी तो इसमें उसका नहीं कसूर,आपके पूर्वाग्रह का कसूर। दो मामले तो स्प्ष्ट वाकये के साथ लिखा हुआ मैं देख चुका हूं।दूसरी बात कि अगर नहीं उठ पा रहा है तो उसकी वजह सामाजिक है। इसका मीडिया से कोई संबंध नहीं है। या तो वे अब बड़े बुद्धिजीवी बनकर खान मार्केट-लैटिन वर्ड बोलने वाला इंटलेक्चुल कहलाने की कोशिश में लगे हैं जो दलाली छोड़कर लाइजिन में जाने को आतुर हैं या उन्हें कुछ संभल कर सामाजिक दृष्टिकोण को नये सिरे से समझने की जरूरत है।
बात सिर्फ मीडिया की नहीं है। हिंदी पट्टी की अधिकतम लड़कियां अभी सामाजिक स्तर पर ट्रांसफोरमेशन के दौर से गुजर रही हैं। यह सही है कि अब लड़कियों को बेहतर एजुकेशन देने में परिवार सामने आ रही है लेकिन करियर आधारित लड़कियां अभी भी उनकी पसंद नहीं है। छोटे शहरों के परिवार की लड़कियां के लिए अभी भी बड़े शहरों में करियर को चुनना उनका रेबेलियन च्वाइस होता है। स्वाभाविक पारिवारिक फैसला नहीं होता है। ऐसे में जब वे करियर एसपिरेशन के साथ यहां आती है तो उनके सपने बड़े होते हैं और उनके अंदर हमेशा रहता है कि असफल होना वह एफर्ड नहीं कर सकती है। इसी दौरान जब उनके साथ बुरा होता है तो वह भी तपाक से वहां दो हाथ मार सकती है। तुरंत टि्वटर पर इस बारे में लिख सकती है। न उन्हें ऐसे बॉस से डर होता है न कोई संकोच। लेेकिन उन्हें अपनों से डर रहता है। उनके साथ हुई एक घटना,जिसमें उनकी कोई गलती नहीं होती है,को उनके परिवार वाले और समाज उन्हें घर बैठने की दबी ख्वाहिश को पूरा करने निकल पड़ते हैं। अभी भी अधिकतर परिवार वालों की यही मंशा है कि लड़की पढ़े और अच्छी जगह शादी करे। फिर जो मर करना है,पति की इच्छा से आगे करे।
ये लड़कियां इस समाज से डर रही हैं। इसलिए बोलने से डरती है। वह अपने सपनों को नहीं मारना चाहती है। अंग्रेजी वालों के पास ऐसी समस्या नहीं है। उनका समाज इस मामले में ब्लॉक नहीं करता है।
पत्रकार नरेन्द्र नाथ मिश्रा की कलम से ✎
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