समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने खजुराहो में दसवीं सदी के जैन मंदिर में प्रवास कर रहे परम पूज्य 108 आचार्य विद्या सागर जी महाराज से भेंट की। आचार्य जी और अखिलेश जी ने कन्नड भाषा में विचार विमर्श किया। आचार्य जी ने श्री अखिलेश यादव को जीवन में सफलता का आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर उ0प्र0 सरकार के पूर्व मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी और श्री निशांत जैन भी मौजूद थे।
आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज ने कहा हमारे देश में जनभाषा हिन्दी है। इसका प्रयोग न्यायालय, सरकारी कामकाज और शिक्षा में भी होना चाहिए। जैन मुनि जी ने कहा कि अंग्रेजी के चलते स्वदेशी का बहुत नुकसान हुआ है। अखिलेश जी ने कहा कि चीन के सामान से बाजार पट गए हैं। अब स्वदेशी के आन्दोलन का कहीं अता पता नही है।
आचार्य जैन मुनि ने बताया कि स्वदेशी को बल देने के लिए उनके अपने उत्पादन भी हैं। उन्होंने गांवों के कारीगर द्वारा निर्मित अपने हथकरघा वस्त्र भेंट किए। आचार्य जी ने बताया कि उनके संरक्षण में 100 गौशालाएं हैं। गाय का दूध और घी लाभकारी होता है। इस पर अखिलेश जी ने बताया कि उन्होंने हमेशा गौ सेवा की है। उनके अपने घर में गायें पली हुई हैं।
श्री अखिलेश यादव को आचार्य जी ने कुछ पुस्तकें भी भेंट की। एक पुस्तक अंग्रेजी भाषा के विरूद्ध है। जैन मुनि जी ने कहा कि न्यायालयों और पढ़ाई-लिखाई में हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए। यही जन भाषा है।
श्री जैन मुनि ने पर्यावरण संरक्षण पर भी अखिलेश यादव जी से वार्ता की। अखिलेश जी पर्यावरण इंजीनियरिंग की डिग्री ले रखी है। श्री विद्या सागर जी ने जल संरक्षण पर चर्चा की। जल के दुरूपयोग से होने वाली हानियों के सम्बंध में भी उन्होंने विस्तार से बताया।
आचार्य विद्या सागर जी ने बताया कि जैन धर्म में अहिंसा एक मूलभूत सिद्धांत है जो अपनी नैतिकता और आधारशिला का गठन करता है। शब्द अहिंसा का अर्थ है हिंसा अभाव अथवा अन्य जीवों का नुकसान पहुंचाने की इच्छा का अभाव। जीवित प्राणियों को उन लोगों से भय नहीं रहता जिन्होंने अहिंसा का व्रत ले रखा है। श्री अखिलेश यादव लगभग एक घण्टा आचार्य जैन मुनि के सान्निद्य में रहे।
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