समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा लोकतांत्रिक व्यवस्था की पवित्रता को नष्ट करने में लगी है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ समाज व्यवस्था को उलझाने की रणनीति बनाने में भाजपा को महारत है। उसके पास विकास का कोई एजेंडा नहीं है। भाजपा सरकारें निष्क्रियता की शिकार हैं। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता का नितांत अभाव दिखाई देता है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए चिंतनीय है।
श्री यादव आज पार्टी मुख्यालय में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो गरीब व्यवस्था का शिकार है वही समाज की दौड़ में पिछड़ा हुआ है। जिनके पास दौलत है, सŸाा की ताकत है वही लोग आगे हैं। आबादी के आधार पर ह़क और सम्मान की व्यवस्था जब तक लागू न हो तब तक सरकारी योजनाओं में आनुपातिक भागीदारी मिलनी चाहिए। समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो यह व्यवस्था लागू की जाएगी। फिलहाल समाजवादी पार्टी की मांग जातीय जनगणना की है ताकि संख्या के हिसाब से भागीदारी तय हो सके।
श्री अखिलेश यादव ने कहा कि स्वतंत्र भारत में किसानों और नौजवानों की आत्महत्या तो अब सामान्य घटनाएं मानी जा रही है। शिक्षा क्षेत्र में अध्यापन कार्य में लगे शिक्षक और शिक्षामित्र भी सैकड़ों की संख्या में आत्महत्या कर चुके हैं। महिलाओं का उत्पीड़न जारी है। बच्चियां तक सुरक्षित नहीं है। हत्या, लूट, अपहरण की बढ़त ही भाजपा की उपलब्धि है। किसान बदहाल है। मक्का, धान, गेंहू की खरीद में किसी को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला। गन्ना किसानों का बकाया नहीं दिया गया है। जबकि दो लाख 41 हजार करोड़ का कर्ज पूंजीपतियों का माफ कर दिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कहा कि चीन से भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना का कोई मतलब नहीं है। चीन में 15 लाख लोगों को हर माह रोजगार मुहैया कराया जाता है जबकि भारत में 450 लोग ही मुश्किल से रोजगार पाते हैं। प्रतिवर्श 5 लाख करोड़ का चीन से आयात होता है। भारत से निर्यात तुलना में काफी कम है। इधर जब से भाजपा की सरकार केन्द्र में आयी है भारत से निर्यात लगभग शून्य हो गया है। देश-प्रेदश में श्रमिकों की स्थिति बदतर है। काम और मजदूरी न मिलने से उनकें परिवार भुखमरी से जूझ रहे हैं।
श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा के प्रति जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। भाजपा सरकारों के प्रति मोहभंग हुआ है। लोग कह रहे हैं कि इनके अच्छे दिनों से तो उनके पुराने दिन ही अच्छे थे। भाजपा के वादों और कामों पर अब किसी को विश्वास नहीं रहा है। अब विकास का झांसा नहीं सबको चुनाव का इंतजार है।
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