समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि चुनाव सिर पर आ गए हैं तो भाजपा किसानों का हितैषी होने का दिखावा करने लगी है। किसानों के उत्पादों के लिए घोषित ताजा न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान को कुछ मिलने वाला नहीं है क्योंकि उसकी अर्थनीति किसान पक्षधर नहीं, कारपोरेट घरानों के हित साधन की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना जोड़ने का जो दावा किया है वह भाजपा की दोषपूर्ण आर्थिक नीति को साबित करता है। पहले ही डाॅ0 स्वामीनाथन रिपोर्ट की संस्तुतियों से भाजपा मुकर गई थी और अब किसानों के समर्थन का ढोंग कर रही है।
भाजपा राज में किसान की सबसे ज्यादा दुर्दशा है। उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है। उसकी जमीन कर्ज में फंसी है, कृषि मण्डियों में किसान लुट रहा है, सिंचाई का संकट है। विद्युत आपूर्ति बाधित है, किसान निराशा और कुण्ठा में आत्महत्या कर रहा है। भाजपा का अन्नदाता को ही धोखा देने में कोई गुरेज नहीं है। केन्द्र में भाजपा सरकार का अंतिम वर्ष है, किसानों को लाभ पहुंचाने का ख्याल उसे अब तक क्यों नहीं आया था?
अपने जन्मकाल से ही भाजपा का किसान और खेत से कोई वास्ता नहीं रहा है। खेतों का वह दूरदर्शन करती आई है। उत्तर प्रदेश में ही गन्ना किसानों का लगभग 12238 करोड़ रूपया चीनी मिलों पर बकाया है। कर्जमाफी का वादा वादा ही रहा है। खाद, ट्रैक्टर, कीटनाशक दवाइयों पर जीएसटी की मार पड़ रही है। केन्द्र की भाजपा सरकार मई 2017 में सुप्रीमकोर्ट में मान चुकी है कि उसके कार्यकाल में लगभग 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। अभी दो दिन पूर्व ही मध्य प्रदेश के सागर जनपद के किसान ने आत्महत्या की। उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक दिन पूर्व किसान ने 48 हजार रूपए कर्ज के कारण आत्महत्या की है। बुंदेलखण्ड में सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके है।
समाजवादी सरकार ने चैधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलते हुए किसान और गांव को तरजीह दी थी। किसान की उपज को बिचैलियों और आढ़तियों की खरीद के कुचक्र से बाहर किया था। किसान की कर्जमाफी के साथ मुफ्त सिंचाई सुविधा दी थी। मंडियों को विकसित कर व्यापारियों को लूट से छूट दिलाई थी। किसान मंडी में अपमानित न हो इसकी व्यवस्था की गई थी। फसल बीमा का लाभ किसानों को मिला था। वर्ष 2016-17 को किसान वर्ष घोषित करते हुए बजट में 75 प्रतिशत की राशि गांव-किसान की भलाई के लिए रखी गई थी।
सच तो यह है कि वर्ष 2019 में अपने अंधकारमय भविष्य को देखते हुए भाजपा सीधे-सादे किसानों को बहकाने में लग गई है। भाजपा का सारा खेल चुनावी संभावनाओं पर आधारित है और इसके नेता समझते हैं कि वे फिर लोगों को अपनी ‘ओपियम की पुड़िया‘ से बहकाने में सफल हो जाएंगे। लेकिन अब उनकी चाल में किसान फंसने वाला नहीं है। वे भाजपा का वास्तविक चेहरा पहचान गए है।
भाजपा राज में किसान की सबसे ज्यादा दुर्दशा है। उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है। उसकी जमीन कर्ज में फंसी है, कृषि मण्डियों में किसान लुट रहा है, सिंचाई का संकट है। विद्युत आपूर्ति बाधित है, किसान निराशा और कुण्ठा में आत्महत्या कर रहा है। भाजपा का अन्नदाता को ही धोखा देने में कोई गुरेज नहीं है। केन्द्र में भाजपा सरकार का अंतिम वर्ष है, किसानों को लाभ पहुंचाने का ख्याल उसे अब तक क्यों नहीं आया था?
अपने जन्मकाल से ही भाजपा का किसान और खेत से कोई वास्ता नहीं रहा है। खेतों का वह दूरदर्शन करती आई है। उत्तर प्रदेश में ही गन्ना किसानों का लगभग 12238 करोड़ रूपया चीनी मिलों पर बकाया है। कर्जमाफी का वादा वादा ही रहा है। खाद, ट्रैक्टर, कीटनाशक दवाइयों पर जीएसटी की मार पड़ रही है। केन्द्र की भाजपा सरकार मई 2017 में सुप्रीमकोर्ट में मान चुकी है कि उसके कार्यकाल में लगभग 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। अभी दो दिन पूर्व ही मध्य प्रदेश के सागर जनपद के किसान ने आत्महत्या की। उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक दिन पूर्व किसान ने 48 हजार रूपए कर्ज के कारण आत्महत्या की है। बुंदेलखण्ड में सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके है।
समाजवादी सरकार ने चैधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलते हुए किसान और गांव को तरजीह दी थी। किसान की उपज को बिचैलियों और आढ़तियों की खरीद के कुचक्र से बाहर किया था। किसान की कर्जमाफी के साथ मुफ्त सिंचाई सुविधा दी थी। मंडियों को विकसित कर व्यापारियों को लूट से छूट दिलाई थी। किसान मंडी में अपमानित न हो इसकी व्यवस्था की गई थी। फसल बीमा का लाभ किसानों को मिला था। वर्ष 2016-17 को किसान वर्ष घोषित करते हुए बजट में 75 प्रतिशत की राशि गांव-किसान की भलाई के लिए रखी गई थी।
सच तो यह है कि वर्ष 2019 में अपने अंधकारमय भविष्य को देखते हुए भाजपा सीधे-सादे किसानों को बहकाने में लग गई है। भाजपा का सारा खेल चुनावी संभावनाओं पर आधारित है और इसके नेता समझते हैं कि वे फिर लोगों को अपनी ‘ओपियम की पुड़िया‘ से बहकाने में सफल हो जाएंगे। लेकिन अब उनकी चाल में किसान फंसने वाला नहीं है। वे भाजपा का वास्तविक चेहरा पहचान गए है।
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