कांग्रेस जिस शिवराज सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के भरोसे सत्ता का वनवास खत्म करने का यकीन रखती है ..उस राह में अभी भी कई रोड़े हैं.. कांग्रेस न तो शिवराज के मुकाबले कोई चेहरा चुनाव में सामने रख पाई है और ना ही कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक है.. क्योंकि जिस कांग्रेस में अभी कमलनाथ की टीम सामने नहीं आई वहां टिकट चयन से लेकर उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार अभियान और उसमें ज्योतिरादित्य की भूमिका बहुत मायने रखती है.. ज्योतिरादित्य को कमलनाथ ने जब अपने पीछे चलने को मजबूर किया है.. तब सिंधिया के लिए भी अपनी पुरानी भूमिका में नई लाइन पर आगे बढ़कर पहले कांग्रेस को बहुमत दिलाना और फिर पार्टी के अंदर अपनी स्वीकार्यता सिद्ध करना बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है.. जिस कांग्रेस का लगभग 35 परसेंट अपना वोट बैंक अभी भी उसकी ताकत बना हुआ है आखिर वो पिछले तीन चुनावों में भाजपा को मात क्यों नहीं दे पाई.. क्या 8 से 10% वोट बैंक का अंतर वो सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के भरोसे पूरा करना चाहती है या उसका अपना कार्यकर्ता, बूथ प्रबंधन और इलेक्शन मैनेजमेंट फिर कमजोर कड़ी साबित होगा.. जहां...
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