समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा राज में राजनैतिक अराजकता की स्थिति है। सŸाारूढ़ दल के नेतृत्व को यही अंदाजा नहीं है कि कहां क्या हो रहा है, किसी समस्या के समाधान की बात तो सोची भी नहीं जा सकती है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है पर कृषक अन्नदाता ही यहां घोर उपेक्षा का शिकार है। भाजपा को किसानों की चिंता नहीं, वह कारपोरेट घरानों की सेवा में ही लगी है।
कैसी विडम्बना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जी का ध्यान अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन पर कम है, इसकी जनता ही नहीं, सांसद, विधायक तक काम न होने की शिकायतें कर रहे हैं। खुद मंत्रीगण भी भ्रष्टाचार बढ़ने के आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री जी को ट्वीट पर टिप्पणी करने के बजाय उन्हें प्रदेश में विकास एवं किसानों पर ध्यान देना चाहिए।
प्रदेश में आंधी तूफान से तबाही मची। आगरा और कानपुर शहर तथा देहात में सर्वाधिक जनधन की क्षति हुई। मुख्यमंत्री जी कर्नाटक के अपने सभी कार्यक्रम पूरा करने के बाद ही आगरा आए जबकि वहां उन्हें तत्काल पहुंचने की आवश्यकता थी। आपदा प्रभावित गांवों में राजस्व वसूली और बिजली बिल पूरे माफ किए जाने चाहिए। जिन किसानों की सभी फसलों सहित फल-सब्जी की फसलें नष्ट हुई है उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए।
किसान पर दूसरी मार सरकारी क्रय केंद्रों पर गेंहू खरीद पर पड़ रही है। इन क्रय केन्द्रों पर किसान को इस तरह परेशान किया जाता है कि वह मजबूरी में अपनी फसल बिचैलियों को बेच दें। किसान से गेंहू सफाई और पल्लेदारी के नाम पर भी अवैध उगाही हो रही है। वह अपनी टैªक्टर ट्राली लिये कई-कई दिन डेरा डाले पड़ा रहता है पर तौल नहीं होती है। अभी भारतीय खाद्य निगम की अमेठी की जायस मंडी में धिंगई का पुरवा गांव निवासी अब्दुल सत्तार (40) की दो दिन तक क्रय केंद्र पर बारी नहीं आई। परेशान हाल अब्दुल सत्तार की मौत हो गई। सरकार द्वारा उनके परिजनों को 20 लाख रूपया मुआवजा दिया जाना चाहिए।
समाजवादी सरकार की प्राथमिकता में जहां किसान और नौजवान रहे हैं, वहीं भाजपा को उनसे कुछ लेना देना नहीं है। भाजपा सरकार में गन्ना किसानों का 942.09 करोड़ रूपए बकाया है। आलू किसान को 549 रूपए का वादा करके धोखा दिया गया है। गेंहू का सरकारी खरीद मूल्य 1735 रूपए कहीं किसान को नहीं मिल रहा है। भाजपा ने किसान की आंख में सिर्फ धूल झोंकने का काम किया है। भाजपा की किसान विरोधी करतूतों से उसके सब्र का बांध टूट गया है। भाजपा के लिए किसानों का उत्पीड़न महंगा सौदा साबित होगा।
कैसी विडम्बना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जी का ध्यान अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन पर कम है, इसकी जनता ही नहीं, सांसद, विधायक तक काम न होने की शिकायतें कर रहे हैं। खुद मंत्रीगण भी भ्रष्टाचार बढ़ने के आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री जी को ट्वीट पर टिप्पणी करने के बजाय उन्हें प्रदेश में विकास एवं किसानों पर ध्यान देना चाहिए।
प्रदेश में आंधी तूफान से तबाही मची। आगरा और कानपुर शहर तथा देहात में सर्वाधिक जनधन की क्षति हुई। मुख्यमंत्री जी कर्नाटक के अपने सभी कार्यक्रम पूरा करने के बाद ही आगरा आए जबकि वहां उन्हें तत्काल पहुंचने की आवश्यकता थी। आपदा प्रभावित गांवों में राजस्व वसूली और बिजली बिल पूरे माफ किए जाने चाहिए। जिन किसानों की सभी फसलों सहित फल-सब्जी की फसलें नष्ट हुई है उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए।
किसान पर दूसरी मार सरकारी क्रय केंद्रों पर गेंहू खरीद पर पड़ रही है। इन क्रय केन्द्रों पर किसान को इस तरह परेशान किया जाता है कि वह मजबूरी में अपनी फसल बिचैलियों को बेच दें। किसान से गेंहू सफाई और पल्लेदारी के नाम पर भी अवैध उगाही हो रही है। वह अपनी टैªक्टर ट्राली लिये कई-कई दिन डेरा डाले पड़ा रहता है पर तौल नहीं होती है। अभी भारतीय खाद्य निगम की अमेठी की जायस मंडी में धिंगई का पुरवा गांव निवासी अब्दुल सत्तार (40) की दो दिन तक क्रय केंद्र पर बारी नहीं आई। परेशान हाल अब्दुल सत्तार की मौत हो गई। सरकार द्वारा उनके परिजनों को 20 लाख रूपया मुआवजा दिया जाना चाहिए।
समाजवादी सरकार की प्राथमिकता में जहां किसान और नौजवान रहे हैं, वहीं भाजपा को उनसे कुछ लेना देना नहीं है। भाजपा सरकार में गन्ना किसानों का 942.09 करोड़ रूपए बकाया है। आलू किसान को 549 रूपए का वादा करके धोखा दिया गया है। गेंहू का सरकारी खरीद मूल्य 1735 रूपए कहीं किसान को नहीं मिल रहा है। भाजपा ने किसान की आंख में सिर्फ धूल झोंकने का काम किया है। भाजपा की किसान विरोधी करतूतों से उसके सब्र का बांध टूट गया है। भाजपा के लिए किसानों का उत्पीड़न महंगा सौदा साबित होगा।
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