राज्यवर्धन राठौड़ तक कोई मेरा यह पत्र पहुंचा दे प्लीज़
माननीय राज्यवर्धन राठौड़ जी,
आपका एक नया वीडियो देख रहा हूं जिसमें आप भारत सरकार के कार्यालय में पुश अप कर रहे हैं। उम्मीद है आपके मंत्रालय के सचिव, निदेशक और सभी कर्मचारी काम छोड़ कर पुश अप कर रहे होंगे। बिना काम छोड़े पुश अप तो हो नहीं सकता। मैं जानना चाहता हूं कि जो चैलेंज आप दूसरों को दे रहे हैं, उसकी आपके मंत्रालय के भीतर क्या स्थिति है? क्या वे आपको देखते ही पुश अप करने लग जाते हैं या आप आते हैं तो अपने पुश अप का वीडियो बनाकर दिखा देते हैं। सचिव जी क्या कर रहे हैं, उन्हें भी कहिए कि पुश अप कर ट्विट करें। क्या यह अच्छा रहेगा कि कुछ डाक्टरों और जिम ट्रेनर की टीम आपके मंत्रालय के कर्मियों की स्वास्थ्य समीक्षा करे।
ये जो आप पुश अप कर रहे हैं वो योग के किस आसन के तहत आता है? सूर्यनमस्कार में भी दंड पेलने की एक संक्षिप्त मुद्रा है और भुजंगासन भी इसका समानार्थी है। पर्वतासन में भी आता है और मुमकिन है कि इसका एक स्वतंत्र आसन भी होगा। लेकिन मंत्री जी आप जिस तरह चमड़े के जूते और कसी हुई कम मोहरी वाली पतलून में पुश अप कर रहे हैं वह कत्तई भारतीय नहीं है। हमने अमर चित्र कथा में दंड पेलने की तमाम तस्वीरें देखी हैं। उनमें दंड पेलने वाले धोती पहना करते हैं। आप शायद नए ज़माने के हैं इसलिए आफिस की महंगी कालीन पर दंड पेल रहे हैं, वैसे इसकी जगह मिट्टी की ज़मीन है। जहां हमारे पहलवान भाई रोज़ मिट्टी आंख मुंह में पोत कर दंड पेलते हैं। आपकी तरह भारत के लिए पदक जीत लेते हैं।
विगत चार साल से भारत सरकार और व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री मोदी योग के प्रचार पर काफी ध्यान दे रहे हैं। इतना कि 2014 से पहले मीडिया में योग रामदेव के कारण जाना जाता था, अब रामदेव जी भी योग के कारण कम इनदिनों बिजनेस टायकून होने के कारण ज़्यादा जाने जा रहे हैं। शायद वे भी नहीं चाहते होंगे कि योग के ब्रांड अंबेसडर को लेकर किसी से टकराव हो और उसका उनके व्यापार पर असर पड़े। इसलिए उन्होंने योग का मैदान प्रधानमंत्री के हवाले कर दिया है। योग का प्रचार कोई भी करे इससे रामदेव को कभी एतराज़ भी नहीं रहा है।
आपने अचानक यूरोपीय शैली में पुश अप को क्यों प्रचारित किया? इसमें कोई बुराई नहीं है क्योंकि आप जो भी कर रहे हैं, उसमें भारतीयता तो है। लेकिन संसद में आपके सहयोगी और मेरे मित्र मनोज तिवारी क्या कर रहे हैं? पुश अप विधा का विकास कर रहे हैं या विकृति पैदा कर रहे हैं? आप भी उनका वीडियो देखिए। पुश अप करने के बाद मनोज तिवारी अचानक उसके जैसा कूदने फांदने लगते हैं जिसका नाम मैं नहीं लेना चाहता। जब देश में पेट्रोल के दाम 85 रुपये प्रति लीटर पार कर गए हों, हाहाकार मचा हो, तब मनोज तिवारी का पुश अप के बाद अफ्रीकी मूल का नृत्य मुझे अच्छा नहीं लगा। इससे मेरा भारतीय मन आहत हुआ है।
आपको पता होगा कि प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में भारत का स्थान पिछले साल से दो पायदान नीचे चला गया है। भारत 136 से 138 पर आ गया है। 137 पर म्यानमार है। 139 पर पाकिस्तान है। इसमें आपके मंत्रालय की क्या ज़िम्मेदारी बनती है, इस पर बहस हो सकती है लेकिन जिस मुल्क में प्रेस की स्वतंत्रता की ये हालत हो, उस ग़रीब मुल्क का सूचना प्रसारण मंत्री अपने आलीशान दफ्तर में पुश अप करे, थोड़ा उचित नहीं लगा। आपने इस तरह की रैंकिंग आने के बाद सुधार के लिए कोई बैठक बुलाई है? आपकी पूर्व सहयोगी स्मृति ईरानी ने फेक न्यूज़ के नाम पर मीडिया पर जो बंदिश लगाने की कोशिश की थी, उससे उन्हें हटना पड़ा था। इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि प्रेस की स्वतंत्रता का माहौल बना रहे, उसके लिए आप क्या कर रहे हैं।
कर्नाटक चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने एक झूठ बोला कि किसी कांग्रेस नेता ने जेल में शहीद भगत सिंह से मुलाकात नहीं की। उन्होंने कहा कि कोई जानकारी देगा तो वे सुधार करने के लिए तैयार हैं। क्या सूचना व प्रसारण मंत्री के रूप में आपका दायित्व नहीं बनता कि प्रधानमंत्री की तरफ से आप देश को बताएं कि सही जानकारी यह है कि नेहरू ने ही जेल में भगत सिंह से मुलाकात की थी।
आप प्रधानमंत्री से इतनी ऊर्जा पा रहे हैं कि दफ्तर में ही पुश अप करने का ख़्याल आ जाता है। यह अच्छा है। मगर सही सूचना के प्रति आपकी क्या ज़िम्मेदारी है? क्या आपने वो ज़िम्मेदारी निभाई? क्या आपके मंत्रालय ने दूरदर्शन पर चलाया कि प्रधानमंत्री से एक चूक हुई है। नेहरू ने भगत सिंह से जेल में मुलाकात की थी।
मैं नहीं चाहता कि आप इस बात से शर्मिंदा हो कि जन स्वास्थ्य के मामले में भारत की रैंकिंग उतनी ही ख़राब है जितनी प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में। दुनिया के 195 देशों में भारत का स्थान 145 वें नंबर है। चार साल में इसे ठीक करने की उम्मीद भी नहीं रखता मगर मैं चाहता हूं कि आप एम्स को लेकर संसदीय समिति की जो रिपोर्ट आई है, उसे ही पढ़ लें। अब जब आप अपना काम छोड़कर स्वास्थ्य मंत्री का काम कर ही रहे हैं तो यह भी जान लें। भारत के 6 एम्स में पढ़ाने वाले डॉक्टर प्रोफेसर के 60 फीसदी पद खाली हैं। नॉन फैकल्टी के 80 फीसदी से अधिक पद ख़ाली हैं। 18,000 से अधिक पदों पर अगर चार साल में नियुक्ति हो गई होती तो आज कितने ही युवाओं के घर में खुशियां मन रही होती। वे भी पुश अप कर रहे होते। बेरोज़गारी में आपकी तरह पुश अप करने से आंत बाहर आ जाएगी। आपकी जो फिटनेस है वो सिर्फ पुश अप से नहीं है बल्कि डाइट से भी है।
आप मंत्री हैं। सांसद हैं। ज़रूर सांसदों को हंसी मज़ाक या हल्का फुल्का आचरण करने की छूट होनी चाहिए मगर जनप्रतिनिधि की एक मर्यादा होती है। वो इन मर्यादाओं से बंधा होता है। हम समझते हैं कि आप कुछ लोकप्रिय लोगों को चैलेंज देकर युवाओं को प्रेरित करना चाहते हैं। भारत का युवा जानता है कि उसे हेल्थ के लिए क्या करना है। जिसके पास पैसे हैं और जो जिम जा सकता है, वो जा रहा है। दो चार युवा होते हैं जो अजय देवगन और शाहरूख़ ख़ान की तरह दिखने लगते हैं, बोलने लगते हैं और चलने लगते हैं। मुमकिन है कि दो चार आपकी तरह देखने बोलने और चलने लगें लेकिन
मुमकिन है कि दो चार आपकी तरह देखने बोलने और चलने लगें लेकिन यह सोचना कि युवाओं की मानसिकता ही यही होती है, उनके साथ नाइंसाफी होगी।
मुमकिन है कि दो चार आपकी तरह देखने बोलने और चलने लगें लेकिन यह सोचना कि युवाओं की मानसिकता ही यही होती है, उनके साथ नाइंसाफी होगी।
क्या यह अच्छा नहीं होता कि 100 से अधिक जिन बच्चों ने एस सी एस की परीक्षा पास कर आपके मंत्रालय से नियुक्ति पत्र का इंतज़ार कर रहे हैं, उनकी आप ज्वाइनिंग करा दें। उम्मीद हैं आप सोमवार तक इन्हें नियुक्ति पत्र दे देंगे परीक्षा पास कर दस महीने से ये लड़के इंतज़ार कर रहे हैं और आप नौजवानों को पुश अप करने का वीडियो दिखा रहे हैं यह उचित हो सकता है मगर बकौल रवीश सर्वथा अनुचित है। वैसे आप ये पतलून और शूट सिलाते कहां हैं, डिज़ाइनर है कोई या शाहदरा का कोई टेलर है। बाकी सवाल का जवाब दे या न दें, मुझे टेलर का पता दे दीजिएगा मंत्री जी। मुझे भी हैंडसम दिखने का मन कर रहा है। लगे हाथ इंडिया भी फिट हो जाएगा, ऐसा योगदान मेरा भी हो जाए, भक्त भी खुश हो जाएंगे।
Comments
Post a Comment
If You have any doubt, please let me know.